Content
- मध्य प्रदेश की भौगोलिक स्थिति
- मध्यप्रदेश का भौतिक विभाजन
- 1. मध्य उच्च प्रदेश
- मध्यभारत का पठार
- बुंदेलखंड का पठार
- मालवा का पठार
- रीवा पन्ना का पठार
- नर्मदा सोन घाटी
- 2. सतपुड़ा मैकल श्रेणी
- सतपुड़ा एवं मेकाल पर्वत
- 3. पूर्वी पठार
- बघेलखण्ड का पठार
- 1. मध्य उच्च प्रदेश
मध्य प्रदेश की भौगोलिक स्थिति
मध्य प्रदेश का विस्तार उत्तरी अक्षांश मे 21 डिग्री 6′ से 26 डिग्री 30′ तथा पूर्वी देशांतर मे 74 डिग्री 59′ से 82 डिग्री 61′ है मध्य प्रदेश की पूर्वी और पश्चिमी भाग में लगभग 8 डिग्री 2 मिनट का अंतर है अर्थात मध्य प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी भाग में (1 डिग्री = 4 मिनट , 8 × 4 मिनट + 2 मिनट = 34 मिनट ) 34 मिनट का अंतर है ।
मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किलोमीटर तथा छत्तीसगढ़ के किरार घाटी विवाद के कारण कहीं-कहीं 3,08,245 वर्ग किलोमीटर भी दर्शाया गया है मध्य प्रदेश की उत्तर से दक्षिण लंबाई 605 किलोमीटर तथा पश्चिम से पूर्व चौड़ाई 870 किलोमीटर है मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल , भारत के क्षेत्रफल का 9.38 % है ।
मध्य प्रदेश पूर्णताः भू आवेष्ठित राज्य है मध्य प्रदेश भारत के हृदय में स्थित ऐसा राज्य है जहां पर्वत, पठार और मैदानों में संतुलन विद्यमान है।
भू वैज्ञानिक दृष्टि से मध्य प्रदेश प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का भाग है। गोंडवाना शैल समूह को लोवर गोंडवाना , मिडिल तथा अपर गोंडवाना समूह में बांटा गया है ।
भौतिक संरचना की दृष्टि से मध्य प्रदेश प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग के अंतर्गत आता है।
प्रदेश के पश्चिमी भाग में दक्कन ट्रैप की चट्टाने है , दक्कन ट्रैप एक विशेष प्रकार की संरचना है जिसका निर्माण क्रेटियस काल में दक्कन उद्भेदन अथवा ट्रेप से हुआ अर्थात ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ , इसी समय ज्वालामुखी लावा से बेसाल्ट चट्टानों का निर्माण हुआ तथा इन्हीं चट्टानों के क्षरण से काली रेगूर मिट्टी का निर्माण हुआ । भारत में इसका विस्तार पश्चिमी भारत अर्थात महाराष्ट्र , गुजरात में है मध्य प्रदेश मे इसका विस्तार पश्चिमी मध्य प्रदेश में है ।
मध्यप्रदेश का भौतिक विभाजन
मध्यप्रदेश भारत के प्रायद्वीपीय पठार का ही एक भाग है। यहाँ पठारी भाग अधिक है। कहीं-कहीं पर्वतीय श्रृंखलाएं विस्तृत हैं और कुछ क्षेत्रों में मैदानी भाग फैले हैं। उत्तरी सीमा पर यमुना पार का जलोढ़ मैदान प्रारंभ हो जाता है, पश्चिम की ओर चम्बल नदी पार करते ही अरावली की श्रेणियाँ मिलती हैं, पूर्व में छोटा नागपुर का पठार है, लगभग उसी बनावट व ऊँचाई के भाग बघेलखण्ड के पठार में भी मिलते हैं, दक्षिण में ताप्ती नदी को पार करने पर प्रायद्वीप पठार का प्रारंभ हो जाता है। भौगोलिक दृष्टि से मध्यप्रदेश की प्राकृतिक रचना, स्थिति जलवायु, वनस्पति, मिट्टी, खनिज, कृषि, जनसंख्या, उद्योग एवं यातायात को ध्यान में रखते हुए फिजियोग्राफी मैप ऑफ इंडिया ने मध्यप्रदेश को तीन भौगोलिक प्रक्षेत्रों में बांटा गया है।
1. मध्य उच्च प्रदेश
- मध्यभारत का पठार
- बुंदेलखंड का पठार
- मालवा का पठार
- रीवा पन्ना का पठार
- नर्मदा सोन घाटी
2. सतपुड़ा मैकल श्रेणी
- सतपुड़ा एवं मेकाल पर्वत
3. पूर्वी पठार
- बघेलखण्ड का पठार
1. मध्य उच्च प्रदेश
नर्मदा सोन घाटी तथा अरावली श्रेणियों के बीच त्रिभुजाकार पठार मध्य उच्च प्रदेश के नाम से जाना जाता है। मध्य उच्च प्रदेश राज्य के दो-तिहाई से भी अधिक क्षेत्र पर विसतृत है। इसके अंतर्गत मध्य भारत का पठार, बुंदेलखण्ड उच्च प्रदेश, रीवा-पन्ना का पठार या विन्ध्यन कगारी प्रदेश, मालवा का पठार और नर्मदा घाटी, आदि क्षेत्र सम्मिलित है। इस प्रदेश की विशालता एवं विविधता को ध्यान में रखकर इस प्रदेश को 5 उप-विभागों में विभाजित किया है।
=> मध्यभारत का पठार
- मध्य भारत के पठार को सरसो की हांडी भी कहा जाता है। इस पठार में मुख्यतः चंबल, सिंध, काली सिंध, पार्वती नदी बहती है।
- सर्वाधिक कम वर्षा इसी पठार में होती है। इस पठार का निर्माण मुख्यतः विंध्यन शैल समूह के अपरदन तथा नदियों के निक्षोप से हुआ है।
- सबसे कम लिंगानुपात वाला पठार भी यही है। इस पठार में चंबल नदी के द्वारा बड़े पैमाने पर बीहड़ (अवनालिका अपरदन) का निर्माण किया गया है। इस पठार में मुख्यतः सहरिया जनजाति विशेष रूप से निवास करती है।
=> बुंदेलखण्ड का पठार
- इस पठार की सबसे ऊंची चोटी सिद्ध बाबा की चोटी (1172 मीटर) दतिया में स्थित है।
- इस पठार में मिश्रित मिट्टी पाई जाती है।
- इसी पठार में नलदम्यंति की प्रेम कथा लिखी गई है। इसी पठार में आला-ऊदल के शौर्यों का वर्णन किया गया है।
- प्रमुख नदियां- बेतवा, धसान, उर्मिल इसी पठार में बहती हैं ।
=> मालवा का पठार
- मालवा की जलवायु (समशीतोष्ण जलवायु) को चीनी यात्री फाहयान ने विश्व की सर्वश्रेष्ठ जलवायु कहा है।
- मालवा के पठार की सबसे ऊंची चोटी सिगार चोटी (881 मीटर) इसके अलावा जानापाव (854 मीटर), धजारी (810 मीटर) स्थित है। यह मध्यप्रदेश में क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा पठार है।
- इस पठार को गेहूं की डलिया भी कहा जाता है। दक्कन ट्रेप की लावा तथा बैसाल्ट चट्टानों के टूटने से इस पठार का निर्माण हुआ है। इस पठार में मुख्यतः काली मिट्टी पाई जाती है।
=> रीवा – पन्ना का पठार
- इस पठार को विंध्यन कगार प्रदेश भी कहा जाता है।
- इसी पठार में सतना जिले के मुकुंदपुर में सफेद शेरों की सफारी स्थापित की गई है।
- इस पठार में बुंदेली व बघेली बोली प्रमुख रूप से बोली जाती है।
- इस पठार का निर्माण विंध्यन शैल समूह के अपरदन से हुआ है।
- इसी पठार में प्रदेश का सबसे ऊंचा चचाई जल प्रपात ( 130 मीटर) स्थित है।
=> नर्मदा सोन घाटी
- नर्मदा घाटी क्षेत्र को कृषि अर्थव्यवस्था की रीड़ कहा जाता है।
- अमरकंटक,इस क्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय स्थल भेड़ाघाट, महेश्वर आदि है।
- नर्मदा सोनघाटी मध्यप्रदेश की सबसे निचली प्राकृतिक विभाग है।
- यह पठार नर्मदा व ताप्ती नदी के मध्य स्थित है।
2. सतपुड़ा मैकल श्रेणी
=> सतपुड़ा एवं मेकाल पर्वत
- मध्यप्रदेश का सर्वाधिक ऊंचाई वाला पठार है।
- मध्यप्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ ( 1350 मीटर) इसी पठार में स्थित है।
- यह पठार नर्मदा तथा गोदावरी के बीच जल विभाजक का कार्य करती है।
- इस क्षेत्र में चिचली काली व लेटेराइट मिट्टी की अधिकता है। – प्रमुख नदियां ताप्ती, बैन गंगा, पैंच, वर्धा है।
3. पूर्वी पठार
=> बघेलखण्ड का पठार
- यह मध्यप्रदेश का सबसे पूर्वी एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा पठार है।
- ये पठार कोयला उत्पादन की दृष्टि से संपन्न है।
- इसी पठार में मध्यप्रदेश की ऊर्जा राजधानी सिंगरौली स्थित है।